स्वदेशी अभियान (Swadeshi Abhiyan)


स्वदेशी अभियान (Swadeshi Abhiyan)

स्वदेशी का अर्थ है- 'अपने देश का' अथवा 'अपने देश में निर्मित'

सभी देश भयंकर आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं, तब भारत में स्वदेशी के आधार पर आर्थिक विकास ही एक मात्र विकल्प है।

हम सभी भारतवासी का उद्देश्य होना चाहिए -

“भारत में बने माल का अधिकाधिक प्रयोग करके भारत के लोगों के लिये अधिक से अधिक रोजगार सृजन करना”

Note – कुछ लोगो का धारणा है कि यह कार्य सरकार का है और सरकार को चाहिए कि विदेशी समान पर रोक लगाए, 

परंतु हमें जानना चाहिए कि सरकार विदेशी समान पर रोक नहीं लगा सकती हैं क्योकि सरकार कि निम्न मजबूरी है,
  1.  विदेश नीति
  2.  कूटनीति और
  3.  राजनीति

(इसके बावजूद सरकार अप्रत्यक्ष रूप से इसपर कार्य करती रहती है )

परंतु हमलोग तो स्वतंत्र हैं, हमे विदेश नीति, कूटनीति, राजनीति से मतलब नहीं है , हमलोग को केवल देशहीत से मतलब  है।
और 

हमलोग अपनी लोकनीति बना सकते है – स्वदेशी अपनाने का

( नोट – कुछ लोग अपना मत प्रकट करते है कि सबसे पहले अपने  हाथ का मोबाइल फेक दे या फिर कहते है कि सोशल मीडिया को बंद कर दे )

मुझे इनलोगों से कहना है कि

1. स्वदेशी अभियान , 1942 के स्वदेशी आंदोलन के रूप मे नहीं लेना है कि विदेशी समान को जलाना या फेकना है बल्कि जो पहले से पास में है उसका पूर्णत उपयोग करे, परंतु जब आप कुछ नया लेने जाए तो विदेशी सामान के जगह स्वदेशी लेने का प्रयास करे।

2. हो सकता है कि अभी, सभी सामानो का स्वदेशी लेने का विकल्प हमलोगों के पास न हों, परंतु जो सामानो का विकल्प स्वदेशी का है तो उसे स्वदेशी ही ले ।

3. हमारे देश के निर्माता भी विशेष ध्यान दे कि जो सामान हम भारतवासी को मजबूरी में विदेशी खरीदना पड़ता है उसे अपने देश में ही उच्च कोटी का बनाए

यह ध्यान देने कि बात है कि अगर हम एक रुपया का भी सामान विदेशी सामान के स्थान पर स्वदेशी सामान लेते है तो न केवल यह पैसा विदेश जाने से रोकते है बल्कि अपने देश में रोजगार का भी सृजन करते है।

 (स्वदेशी अपनाए और स्वदेशी अभियान को  आगे बढ़ाए )

जय हिन्द

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